भावार्थ:
पूर्व श्लोक में ज्ञानयज्ञ की श्रेष्ठा बताने के बाद भगवान श्रीकृष्ण कहते है कि इस तत्वज्ञान को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है। अन्य बहुत से तत्त्वदर्शी ज्ञानी महापुरुषों हो चुके है और अभी भी है। इन महापुरुषों से तत्वज्ञान प्राप्त करना इतना सरल है कि केवल उनकी सेवा कर, उनकी प्रसन्ता प्राप्त होने पर वह तुम्हे तत्त्वज्ञानका उपदेश देंगे।
भगवान श्रीकृष्ण कहते है कि जो तत्वज्ञान तुमको तत्त्वदर्शी ज्ञानी महापुरुष से सरलता से प्राप्त होगा वह तत्व ज्ञान ही मैं तुम्हे इस समय दे रहा हूँ। तुम उसको ग्रहण करो।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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