श्रीमद भगवद गीता : ३४

तत्त्वज्ञान को प्राप्त करना सरल है।

 

तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया।

उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः ।।४.३४।।

 

तत्त्वज्ञान को (तत्त्वदर्शी ज्ञानी महापुरुषोंके समीप जाकर) समझ। उनको साष्टाङ्ग दण्डवत् प्रणाम, सेवा और सरलतापूर्वक प्रश्न करनेसे वे तत्त्वदर्शी ज्ञानी महापुरुष तुम्हें उस तत्त्वज्ञानका उपदेश देंगे। ||४-३४||

भावार्थ:

पूर्व श्लोक में ज्ञानयज्ञ की श्रेष्ठा बताने के बाद भगवान श्रीकृष्ण कहते है कि इस तत्वज्ञान को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है। अन्य बहुत से तत्त्वदर्शी ज्ञानी महापुरुषों हो चुके है और अभी भी है। इन महापुरुषों से तत्वज्ञान प्राप्त करना इतना सरल है कि केवल उनकी सेवा कर, उनकी प्रसन्ता प्राप्त होने पर वह तुम्हे तत्त्वज्ञानका उपदेश देंगे।

भगवान श्रीकृष्ण कहते है कि जो तत्वज्ञान तुमको तत्त्वदर्शी ज्ञानी महापुरुष से सरलता से प्राप्त होगा वह तत्व ज्ञान ही मैं तुम्हे इस समय दे रहा हूँ। तुम उसको ग्रहण करो।

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