भावार्थ:
प्रकृति क्या है? प्रकृति का मूल तत्व क्या है, इसका प्रभव तथा प्रलय का कारण क्या है? इन सबका ज्ञान – जो विज्ञानं है इसको मैं तुम सम्पूर्णतासे कहूँगा, ऐसा वचन भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को इस श्लोक में देते है।
योग स्थित योगी इस विज्ञान को जिस प्रकार जनता है, उसका वर्णन करने का वचन भगवान श्रीकृष्ण पूर्व श्लोक में देते है। कारण की इस प्रकार का विज्ञान प्राप्त होने से साधक को योग साधना में सरलता आती है। इस प्रकार का उपायपूर्वक प्रयत्न करना अध्याय ६ श्लोक ३६ में हुआ है।
इस श्लोक से स्पष्ट होता है की योग अभ्यास में विज्ञान को प्राप्त करने से साधना में सरलता आती है। इस विज्ञान को प्राप्त कर योग साधना करना सांख्य योग कहा जा सकता है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
Read MoreTo give feedback write to info@standupbharat.in
Copyright © standupbharat 2024 | Copyright © Bhagavad Geeta – Jan Kalyan Stotr 2024