भावार्थ:
अध्याय १ श्लोक २१ अर्जुन ने कहा:
किसी भी कार्य को कुशलता पूर्वक कार्यन्वित करने के लिये यह आवश्यक है कि उस कार्य को हर दृष्टिकोण से आंकलन कर लिया जाय। और वह आंकलन विस्तार से किया जाना चाहिये। इस श्लोक से हमे यह जानने को भी मिलता है कार्य को प्रारम्भ करने से कुछ समय पहले एक अन्तिम बार भी सभी स्थितिओं का आंकलन विस्तार से कर लेना चाहिये।
अहम और विलासिता में डूबे योद्धा को लेकर अर्जुन के मन में यह भाव है की इस युद्ध में यह सब हमारे द्वारा मृत्यु को निश्चित ही प्राप्त होने वाले है। योद्धाओं के द्वारा व्यर्थ मे किया गया प्रयास, और फिर उनपर दया, क्रोध का मिश्रित असहज भाव भी दीखता है जब अर्जुन ने – “युद्ध की इच्छा से खड़े इन लोगों” शब्द कहे।
“निरीक्षण” शब्द से अर्जुन के शूरवीरता और आत्मविश्वास का प्रदर्शन होता है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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