भावार्थ:
कृष्ण और अर्जुन रूप में तो हमारा जन्म इस समय का है, परन्तु जो परमात्मतत्व-चेतनतत्व है उसके पूर्व काल में अनेक बार, अनेक रूप में जन्म हो चुके है। अर्जुन तुम्हारी शरीर से आसक्ति होने के कारण और तत्व ज्ञान का अभाव होने के कारण, तुम यह बात नहीं जान पा रहे हो।
अध्याय २ श्लोक १२ मे भगवान ने अर्जुन से कहा था कि, मैं (कृष्ण) और तू तथा ये राजालोग (चेतन तत्व) पहले नहीं थे और आगे नहीं रहेंगे, ऐसा नहीं है।
अतः काल पर्यन्त से जो अनेको मनुष्यों के जन्म हुये है उनमें से कुछ कृष्ण के समान और कुछ अर्जुन के समान होते रहे है।
जो योग में स्थित होते है, जिनको तत्व ज्ञान पूर्ण रूप से होता है, उनको पूर्व काल के इस प्रकार के जन्मों का ज्ञान रहेता है।
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