भावार्थ:
भगवान् श्रीकृष्ण सर्व प्रथम स्पष्ट करते है कि जो मनुष्य देवताओं के आश्रित होता है वह निश्चय ही ज्ञान रहित होता है। कारण की कामना रूपी भाव ही मनुष्य को देवताओं के प्रति आश्रित करता है।
देवताओं के आश्रित मनुष्य अपने गुण (सात्त्विक, राजसिक और तामसिक) और गुण से उत्पन्न भाव के अनुसार, तीन अलग-अलग प्रकार के देवताओं में श्रद्धा रखता है।
अध्याय ७ श्लोक २० में भगवान् श्रीकृष्ण ने वर्णन किया है कि जो मनुष्य कामना और भोग के वश है, वह अपनी प्रकृति के अनुरूप देवताओं के शरण होते है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
Read MoreTo give feedback write to info@standupbharat.in
Copyright © standupbharat 2024 | Copyright © Bhagavad Geeta – Jan Kalyan Stotr 2024