भावार्थ:
दूसरों को कष्ट देना, उनका अनिष्ट करना, इस उद्देश्य से जब मूढ़ मनुष्य अपने शरीर को कष्ट देता है, तब वह कष्ट तापस तप कहलाता है।
वे दूसरों को दुःख देने के लिये तप करते हैं। उनका भाव रहता है कि शक्ति प्राप्त करने के लिये तप (संयम आदि) करने में मुझे भले ही कष्ट सहना पड़े, पर दूसरों को नष्ट-भ्रष्ट तो करना ही है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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