भावार्थ:
अध्याय १२ श्लोक १ में अर्जुन दुवारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर अध्याय १२ श्लोक ७ में समाप्त करते है।
अब इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के समुख होकर कहते है कि मने अभी तक जो परमात्मतत्व का ज्ञान दिया है, विज्ञान कहा है, उससे तुम अपने विवेक को जागृत करो। उस ज्ञान को पूर्ण रूप से ग्रहण करो और अपने मन और बुद्धि को परमात्मा में स्थिर करो। अर्थात युद्ध के विषय का त्याग करो और केवल परमात्मा का ही चिन्तन करो। ऐसा करने से तुम परम शांति को प्राप्त होंगे, इसमें संशय नहीं है।
भगवान श्रीकृष्ण कहते है कि मुख्य बात है मन और बुद्धि को स्थिर करने की। फिर वह स्थिरता सगुण परमात्मा में हो या अव्यक्त में। मन और बुद्धि स्थिर होने पर तुम परम आनन्द में निरन्तर निवास करोगे।
श्लोक के सन्दर्भ मे:
मन और बुद्धि को परमात्मा में स्थिर करने का अर्थ इस प्रकार है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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