भावार्थ:
पूर्वाध्याय के अन्त में भगवान् श्रीकृष्ण ने शास्त्रों को मान कर कर्तव्य पालन करने पर विशेष बल दिया। परन्तु अर्जुन अभी भी युद्ध रूपी कर्तव्य को करने की स्थिति में नहीं था।
अर्जुन प्रश्न करते है कि मनुष्य कर्तव्यों का पालन तो नहीं करता और कामना के ही आश्रित रहता है। परन्तु कामना पूर्ति के लिये जब वह श्रद्धा एवं विधि पूर्वक देवता आदिका पूजन करता है तो उसकी गति किस प्रकार की होती है और उसका आचरण किस प्रकार का होता है। उनका आचरण देवी सम्पदा प्राप्त मनुष्य के समान होता है या की आसुरी सम्पत्ति प्राप्त मनुष्य के समान।
देवता आदिका पूजन करने में उनमें किस गुण की प्रधानता होती है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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