भावार्थ:
अभाव ग्रस्त याचक को तिरस्कार पूर्वक दान देना तामस है। देश, काल और पात्र में अभाव, आवश्यकता का विचार किये बिना दान करना तामस है। पुनः देश, काल और पात्र का विचार करने में आसक्ति, राग-दुवेश नहीं होना चाहिये। विचार केवल अभाव के होने अथवा न होने का है। यह विचार भी तभी मान्य है जब दान स्वयं से बिना मांगे दिया जाता है। याचक के याचना करने पर बिना विचार करे देना चाहिए।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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