भावार्थ:
सात्विक आहार में सरलता से पचने वाले सभी फल, एवं सब्जी अथवा अन्य पदार्थ जो रसयुक्त, अथवा घी-तेल युक्त हो और जो बिना पकाय ही खाई जा सकती हो। पकने के नाम पर वह केवल उबले हुए हो।
इस प्रकार के आहार आयु, सत्त्वगुण, बल, आरोग्य, सुख और प्रसन्नता बढ़ाने वाले होते है।
यहा यह बात विचार करने की है कि सात्विक प्रधान मनुष्य में इस प्रकार के आहार में रूचि होती है और इस प्रकार के आहार खाने से सात्विक आचरण प्रवृद्ध (बढ़ता) होता है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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