श्रीमद भगवद गीता : ०२

न मे विदुः सुरगणाः प्रभवं न महर्षयः।

अहमादिर्हि देवानां महर्षीणां च सर्वशः ।।१०-२।।

 

मेरे उत्पत्ति होने के कारण को न देवतागण जानते हैं और न महर्षिजन; क्योंकि मैं सब प्रकार से देवताओं और महर्षियों का भी आदि कारण हूँ। ।।१०-२।।

 

भावार्थ:

भगवान श्रीकृष्ण कहते है कि परमात्मतत्व की उत्त्पति को कोई नहीं जान सकता। कारण की परमात्मतत्व सभी की उत्पत्ति से पहले के है। संसार की उत्त्पति का कारण है।

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