श्रीमद भगवद गीता : ०१

श्री भगवानुवाच

भूय एव महाबाहो श्रृणु मे परमं वचः।

यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया ।।१०-१।।

 

श्रीभगवान् ने कहा: हे महाबाहो! पुन: तुम मेरे परम वचनों का श्रवण करो, जिसे मैं तुम्हारे हितकी कामना से कहूँगा; क्योंकि तुम मेरे में अत्यन्त प्रेम रखते हो। ।।१०-१।।

 

भावार्थ:

सातवें और नवें अध्यायमें भगवान्के तत्त्वका और विभूतियोंका वर्णन किया गया। अब इस अध्याय में जिन-जिन भावों में भगवान् चिन्तन किये जाने योग्य हैं उन-उन भावोंका वर्णन किया गया है।

 

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