भावार्थ:
प्रश्न यह उठता है कि इन्द्रियों के जो गुण है, जो कार्य होते है, वह गुण और सामर्थ्य कहा से प्राप्त होता है? उन को कोन प्रकाशित करता है? उन सबको परमात्मा प्रकाशित करता है, परन्तु परमात्मा, इन्द्रियों के कार्यों के कर्ता से रहित है।
मनुष्य शरीर जो कुछ भी ग्रहण करता है, कार्य करता है, वह सब शरीर के विभिन्न प्रकार के गुणों के कारण है और उन गुणों को प्रकाशित करने वाला परमात्मा है। इस बात से यह जान पड़ता है कि फिर कर्ता परमात्मा है।
परन्तु भगवान श्रीकृष्ण स्पष्ट करते हैं कि परमात्मा कारण तो है परन्तु उस कारण का कर्ता नहीं है। हो रहे कार्यों से सम्बन्ध (आसक्ति) नहीं है। और क्योंकि कर्ता नहीं है, इसलिए कोई कर्ता वाले गुण भी नहीं है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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