भावार्थ:
अध्याय १३ श्लोक ५ और अध्याय १३ श्लोक ६ में जिसका वर्णन किया गया है, वह क्षेत्र है। अध्याय १३ श्लोक ७ से अध्याय १३ श्लोक ११ तक जिस साधन समुदाय का, वर्णन किया गया है, वह ज्ञान है। और अध्याय १३ श्लोक १२ से अध्याय १३ श्लोक १७ तक जिसका वर्णन किया गया है, वह ज्ञेय है।
जो साधक परमात्मतत्त्व की श्रेष्ठा को समझ कर, ज्ञान प्राप्त कर योग करता है वह अध्यात्म भाव को प्राप्त होता है।
पुनः यहाँ अध्यात्म भाव, समता का भाव है, निर्विकार, निर्मलता का भाव है, परम् आनन्द का भाव है, परमात्मा की प्राप्ति है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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