भावार्थ:
इस प्रकार पूर्व श्लोक में वर्णित हर प्राणी के दो तत्व है क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ। परन्तु अलग-अलग दिखने वाले सभी प्राणिओं में जो अव्यक्त क्षेत्रज्ञ है, वह एक ही है और वह एक रूप परमात्मतत्व है।
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कहते है कि तुम क्षेत्र क्या है, किस प्रकार कार्य करता है और क्षेत्रज्ञ क्या है, इसको जानो। क्योकि मनुष्य के लिये क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ को सही प्रकार से जानना, ही वास्तविक ज्ञान है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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