श्रीमद भगवद गीता : ०१

श्री भगवानुवाच

 परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानां ज्ञानमुत्तमम्।

यज्ज्ञात्वा मुनयः सर्वे परां सिद्धिमितो गताः ।।१४-१।।

 

 

श्री भगवान् ने कहा: समस्त ज्ञानों में उत्तम और परम ज्ञान को मैं पुन: कहूंगा, जिसको जानकर सभी मुनिजन इस संसारसे मुक्त होकर परमसिद्धिको प्राप्त हो गये हैं। ।।१४-१।।

 

भावार्थ:

अध्याय १३ में ज्ञान-विज्ञानं का जो वर्णन हुआ, वह पूर्ण न होने के कारण भगवान श्री कृष्ण ज्ञान के विषय आगे कहने का प्रण लेते है। साथ ही कहते है कि इस ज्ञान को प्राप्त करने पर साधक उस परम् सिद्धि को प्राप्त होता है जिसको प्राप्त करने से वह संसार के बंधनों से मुक्त हो जाता है।

जिस साधक का मन शान्त है उसको मुनि कहा गया है।

प्रोत्साहन देने के लिये भगवान श्री कृष्ण मुनि का उदहरण देते है।

 

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