श्रीमद भगवद गीता : १४

यदा सत्त्वे प्रवृद्धे तु प्रलयं याति देहभृत्।

तदोत्तमविदां लोकानमलान्प्रतिपद्यते ।।१४-१४।।

 

 

जब यह जीव (देहभृत्) सत्त्वगुण की प्रवृद्धि में मृत्यु को प्राप्त होता है, तब उत्तम कर्म करने वालों के निर्मल लोकों को प्राप्त होता है। ।।१४-१४।।

 

 

भावार्थ:

गुणों की महत्ता बताने के लिये यह आगे के तीन श्लोक कहे गये है।

इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण कहते है कि सत्वगुण की वृद्धि होने से न केवल मनुष्य इस जीवन काल में उत्तम कार्य करता है, अपितु मृत्यु के बाद भी मनुष्य उस निर्मल लोक में जाता है, जहाँ उत्तम कार्य करने वाले होते है। अर्थात मनुष्य मृत्यु के बाद भी उत्तम कार्य करता है।

 

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