अर्जुन उवाच – मन की चंचलता के कारण योग को सिद्ध करना सम्भव नहीं है।
भावार्थ:
योग में स्थित योगी की स्थिति किस प्रकार की होती है उसका वर्णन अध्याय ६ श्लोक २० से अध्याय ६ श्लोक २३ में हुआ है। उस स्थिति में स्थित रहने में मन को संयमित करना अनिवार्य है और ध्यान योग उस प्रक्रिया में सहायक है।
परन्तु मन की चंचलता के कारण अर्जुन ध्यान योग को सिद्ध करने में असफलता का भाव देखते है।
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