भावार्थ:
मनुष्य को मृत्यु प्रान्त क्या होगा, इसको जानने की उत्सुकता बानी रहती है। इसी उत्सुकता को देखते हुए भगवान श्रीकृष्ण कहते है कि जो साधक योग स्थित है वह महात्मा मृत्यु उपरांत पुनः संसार में जन्म नहीं लेता। वह जन्म जो दुःखों से भरा और वह शरीर जो अशाश्वत है।
पुनः जन्म कियु नहीं लेते, कियुकी वह योग सिद्धि, जो की परमसिद्धि है उसको प्राप्त होते है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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