भावार्थ:
शुक्ल और कृष्ण–इन दोनों मार्गोंका सम्बन्ध जगत्के सभी चर-अचर प्राणियों के साथ है। एक मार्गसे अर्थात् शुक्लमार्ग से गये हुए साधनपरायण साधक अनावृत्ति को प्राप्त होते हैं अर्थात् ब्रह्मलोक में जाकर ब्रह्माजीके साथ ही मुक्त हो जाते हैं, बार-बार जन्म-मरणके चक्करमें नहीं आते; और दूसरे मार्ग से अर्थात् कृष्णमार्ग से गये हुए मनुष्य बार-बार जन्म-मरण के चक्कर में आते हैं।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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