श्रीमद भगवद गीता : १७

पिताऽहमस्य जगतो माता धाता पितामहः।

वेद्यं पवित्रमोंकार ऋक् साम यजुरेव च।।९-१७।।

 

जानने योग्य पवित्र, ओंकार, ऋग्वेद, सामवेद और यजुर्वेद भी मैं ही हूँ। इस सम्पूर्ण जगत्का पिता, धाता, माता, पितामह, भी मैं ही हूँ। ।।९-१७।।

भावार्थ:

भगवान श्रीकृष्ण व्यक्त करते हैं कि प्रकृत्ति पदार्थ,  कर्ता,  कार्य,  उपकरण- सृष्टि मे जो कुछ भी है, हो रहा है उन सब में परमात्मा ही व्याप्त है और कारण है।

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