भावार्थ:
भगवान श्री कृष्ण पूर्व श्लोक में वर्णित नरक से बचने के लिये कहते है कि आसुरी प्रकृति के मूल अवगुण काम, क्रोध और लोभ है। अतः इनका त्याग कर देना चाहिये।
काम, क्रोध और लोभ, ये तीनों मनुष्य का पतन करनेवाले हैं। जिनका उद्देश्य भोग भोगना और संग्रह करना होता है, वे लोग (अपनी समझसे) अपनी उन्नति करने के लिये इन तीनों दोषों को हितकारी मान लेते हैं। उनका यही भाव रहता है कि हम लोग काम आदि से सुख पायेंगे। यह भाव ही उनका पतन कर देता है। इसलिये मनुष्य को इनका त्याग कर देना चाहिये।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
Read MoreTo give feedback write to info@standupbharat.in
Copyright © standupbharat 2024 | Copyright © Bhagavad Geeta – Jan Kalyan Stotr 2024