भावार्थ:
मृत्यु को प्राप्त होने तक उनकी सांसारिक चिन्ताएँ मिटती नहीं। जो आज के कार्य है, जो आज उनके आश्रित है, मृत्युपरान्त वह सब, उन सब का कैसे होगा, इसकी चिंता रहती है। इस कारण वह पदार्थों का संग्रह करने में ही लगे रहते है।
उनकी भोग-कामना कभी समाप्त नहीं होती। जितना है वह अपर्याप्त ही लगता है।
उनका यह विचार रहता है कि भविष्य की चिंता करने से, उद्योग करने से ही वस्तुओं का संग्रह होता है और यदि ऐसा न करें, तो जीवन निर्वाह भी न हो।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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