भावार्थ:
आसुरी प्रकृति वाले व्यक्ति में लोभ बना रहता है। प्रति दिन नय-नय मनोरथ बनते है और उनको पूर्ण करने के लिये नय-नय कार्य होते है। जैसे-जैसे उनका लोभ बढ़ता जाता है, वैसे ही वैसे उनके मनोरथ भी बढ़ते जाते हैं। इसके साथ उनका चिन्तन बढ़ जाता है कि इतना प्राप्त कर लिया, इतना और करना है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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