श्रीमद भगवद गीता : ०८

असत्यमप्रतिष्ठं ते जगदाहुरनीश्वरम्।

अपरस्परसम्भूतं किमन्यत्कामहैतुकम् ।।१६-८।।

 

 

वे कहा करते हैं कि संसार असत्य, अप्रतिष्ठित और बिना ईश्वरके अपने-आप केवल स्त्री-पुरुषके संयोगसे पैदा हुआ है। इसलिये काम ही इसका कारण है, और कोई कारण नहीं है। ।।१६-८।।

 

भावार्थ:

ज्ञानी महापुरुष जिस तत्व (परमात्मतत्व) को सृष्टि के होने और क्रिया रूप होने का कारण मानते है, आसुर स्वभाववाले पुरुष इस ज्ञान को मिथ्या मानते है।

उनका अज्ञान यह कहता है की जगत की रचना में स्त्री-पुरुष की काम वासना कारण है। उन दोनोंके परस्पर संयोगसे यह संसार उत्पन्न हुआ है।

 

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