भावार्थ:
अध्याय १८ श्लोक ६ से अध्याय १८ श्लोक १२ तक कर्म से सम्बन्ध का त्याग एवं कर्म फल का त्याग ही त्याग है, इसका वर्णन हुआ है। अब कर्मों में कर्ता रूपी अहंता का त्याग किस प्रकार हो, और मनुष्य दुवारा हो रहे कार्यों की सिद्ध होने में पाँच कारण क्या है। इस ज्ञान को भलीभांति समझने के लिये भगवान श्रीकृष्ण प्रेणना करते है।
पुनः इस ज्ञान से कार्यों का अन्त नहीं, अपितु कार्यों में अहंता का त्याग किस प्रकार हो यह समझने के लिये है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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