भावार्थ:
अध्याय ९ श्लोक ३४ में जो वर्णन किया है उसको पुनः भगवान श्रीकृष्ण इस श्लोक में कहते है। यह श्लोक सम्पूर्ण श्रीमद् भगवद् गीता का सारांश है।
इस प्रकार अन्तःकरण को समता से युक्त करने पर तुम परमात्मा को प्राप्त हो जाओगे।
मनुष्य धारण किये हुये, योग में स्थित भगवान श्रीकृष्ण परमात्मा स्वरूप है और अर्जुन के सखा है। इसलिए वे प्रतिज्ञा लेकर अर्जुन को विश्वास दिलाते है कि योग साधना करने से और अपना कर्तव्य (युद्ध) करने से तुम्हारा निश्चित रूप से कल्याण होगा।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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