भावार्थ:
यह भी सत्य है कि जो मनुष्य तुम्हारे और मेरे बिच हुये इस गूढ़ संवाद (गीता-ग्रन्थ) को सुन कर अथवा पढ़ कर इसका अनुसरण करेगा वह योग साधना में सिद्ध हो कर परमात्मा को प्राप्त होगा।
इस श्लोक में ‘पराभक्ति’ पद से स्पष्ट कहते है कि जो मनुष्य पूर्ण रूप से मनुष्य धर्म का पालन करेगा उसको ही परमात्मा की प्राप्ति होगी, अन्यथा नहीं। “सन्देह नहीं है” से परमात्मा प्राप्ति की निश्चयता सिद्ध की है।
केवल ग्रन्थ को पड़ने, सुनने अथवा सुनाने से परमात्मा की प्राप्ति नहीं है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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