श्रीमद भगवद गीता : ७५

व्यासप्रसादाच्छ्रुतवानेतद्गुह्यमहं परम्।

योगं योगेश्वरात्कृष्णात्साक्षात्कथयतः स्वयम् ।। १८-७५।।

 

 

व्यास जी की कृपा से मैंने इस परम् गुह्य योग को साक्षात् कहते हुए स्वयं योगोश्वर श्रीकृष्ण भगवान् से सुना। ।। १८-७५।।

 

 

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