भावार्थ:
दि कोई मनुष्य अपने कर्तव्यों को दुखदायक समझकर काया क्लेश के भय से त्याग दे, तो उसका त्याग राजस कहा जायेगा। राजस मनुष्यको शास्त्रमर्यादा और लोकमर्यादाके अनुसार चलनेसे शरीरमें क्लेश अर्थात् परिश्रमका अनुभव होता है। भोग विलास, अपने सुख-आराम के लिये कर्तव्यों का त्याग राजस त्याग है।
कामना पूर्ति के लिये किये जाने वाले कार्यों का त्याग (अथार्त कामना का त्याग) अन्तःकरण में शांति प्रदान करने वाला है। परन्तु भोग विलास, काया क्लेश के भय से प्राप्त कर्तव्यों का त्याग अन्तःकरण में शांति प्रदान नहीं करता।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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