भावार्थ:
भगवान श्रीकृष्ण पुनः सपष्ट रूप से कहते है कि किसी भी मनुष्य मनुष्य के लिये शरीर से हो रहे कार्यों का त्याग करना संभव नहीं। इस बात को अध्याय ३ श्लोक ५ में कहा गया है। शारीरिक कार्य को त्याग करने पर भी मानसिक क्रिया होती ही रहती है।
अतः अगर जो त्याग करना है, तो वह कर्मफल त्याग है।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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