भावार्थ:
स्वधर्म का पालन न करने से भावी इतिहास में तो तुम्हारी अपकीर्ति बनी रहेगी ही, परन्तु वर्तमान में भी शत्रु पक्ष के ये महारथी तुम्हारा उपहास करेंगे।
अर्जुन समाज (सम्बन्धियों एवं शत्रु पक्ष) में एक महान योद्धा, शूरवीर, कर्तव्य परायण एवं अन्य बहुत से गुणों से जाना एवं सम्मानित माना जाता था। अर्जुन सम्बन्धियों के मरने से होने वाले दुःख के कारण और सम्बन्धियों को मारने से होने वाले पाप के कारण युद्ध नहीं करना चाहता था। परन्तु शत्रु पक्ष अर्जुन के दुःख को न समझ कर यह ही मानेंगे कि अर्जुन ने भय और कायरता के कारण युद्ध से पलायन किया है। और वे लोग अर्जुन का उपहास करेंगे।
अतः समाज अर्जुन का अनादर और उपहास उन अवगुणों को लेकर करेंगे, जो उसमें है नहीं।
इस प्रकार का अनादर एवं कायरता का आरोप कोई भी वीर पुरुष सहन नहीं कर सकता, विशेषरूप से जब अपने ही तुल्य बल के शत्रुओं द्वारा वह किया गया हो।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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