भावार्थ:
अध्याय २ श्लोक १ – संजय ने कहा:
अर्जुन अपने कुटुम्बियों को देखकर उनके मरने की आशंका से मोहग्रस्त होकर इतने शोकाकुल हो गये हैं कि नेत्रोंमें आँसू भर आये! आँसू भी इतने ज्यादा भर आये कि नेत्रों से पूरी तरह देख भी नहीं सकते। इस प्रकार कायरता के कारण विषाद करते हुए अर्जुन से भगवान् मधुसूदन ने ये वचन कहे।
श्लोक के सन्दर्भ मे:
भगवान् श्रीकृष्ण को ‘मधुसूदनः’ (मधु नामक दैत्यको मारनेवाले) कहने का तात्पर्य है कि भगवान् श्रीकृष्ण दुष्ट स्वभाव वालों का संहार करने वाले हैं। इसलिये वे दुष्ट स्वभाव वाले दुर्योधनादि का नाश करवाये बिना रहेंगे नहीं।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ है। यह चार पुरुषार्थ को करना ही मनुष्य जीवन का उदेश्य है। उद्देश्य इसलिये है क्योंकि इन चार पुरुषार्थ को करने से ही मनुष्य का कल्याण है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, का अर्थ क्या है? यह पुरुषार्थ करने से मनुष्य का कल्याण किस प्रकार है? धर्म धर्म का अर्थ है कर्तव्य। श्रीमद […]
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