श्रीमद भगवद गीता : ०९

अध्याय २ श्लोक ९

सञ्जय उवाच

एवमुक्त्वा हृषीकेशं गुडाकेशः परन्तप।

न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा तूष्णीं बभूव ह।। २-९।।

 

संजय ने कहा: इस प्रकार गुडाकेश परंतप अर्जुन ने अन्तर्यामी भगवान् हृषीकेश से यह कहकर कि हे गोविन्द “मैं युद्ध नहीं करूँगा” चुप हो गये। ||२-९||

 

श्लोक के सन्दर्भ मे:

अध्याय २ श्लोक ९ – संजय कहते है:

अध्याय २ श्लोक ७ में अर्जुन, भगवान श्रीकृष्ण को गुरु मान कर उनसे पथ प्रदर्शन करने की प्राथना करते है।

परन्तु अध्याय २ श्लोक ८ में अर्जुन, एक प्रकार से स्पष्ट शब्दों में कह देते है कि हे श्रीकृष्ण, आप कुछ भी कहे, पर मेरा शोक दूर नहीं होने वाला।

और अंत में इस श्लोक में कह देते है कि मैं युद्ध नहीं करूँगा।

अर्जुन मानो यह कह रहे है कि आपको जो कहना है कहिये, मैं सुने को त्यार हूँ, परन्तु मेरा निर्णेय अटल है।

 

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